IVF ट्रीटमेंट शुरू करने से पहले जानिए कुछ महत्वपूर्ण बातें जो प्रभावित कर सकती है आपके IVF साइकिल के नतीजे को |
तथ्य 1 : आईवीएफ साइकिल शुरू करने से पहले विटामिन और सप्लीमेंट्स के साथ प्री ट्रीटमेंट करें।
हमारे शरीर के अंदर अविकसित अंडाणु को लगभग 12 हफ्ते लगते है गर्भधारण के लिए सक्षम बनने में l कई विटामिन, एंटीऑक्सिडेंट और खनिज पदार्थ अंडों के विकास की पूरी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाए या जिनके अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या कम होती है उनके लिए विशेष तौर पर CoQ10 (Co Enzyme Q10) का विशेष महत्त्व होता है l
निःसंतान विशेषज्ञ आपके सामान्य स्वास्थ्य और उम्र के आधार पर IVF प्रक्रिया से पहले आपको दो से तीन महीने के लिए सेहतमंद सप्लीमेंट लेने की सलाह दे सकते है।
कम स्पर्म काउंट (कम शुक्राणुओं की संख्या) वाले पुरुषों में भी सप्लीमेंट्स का महत्वपूर्ण योगदान होता है l
आमतौर पर सीमेन सेम्पल और सर्जिकल स्पर्म की प्राप्ति के 4 से 6 हफ्ते पहले लेवो-कार्निटाइन, कोएंजाइम Q10, जिंक, लाइकोपीन और एस्टैक्सैंथिन जैसे एंटीऑक्सिडेंट और सूक्ष्म पोषकतत्व (जिनकी आवश्यकता शरीर को कम मात्रा में होती है) दिए जाते है l वे कुल शुक्राणुओं की संख्या या शुक्राणु की गतिशीलता (स्पर्म मोटिलिटी ) में खास वृद्धि नहीं कर सकते हैं लेकिन इससे फर्टिलाइजेशन में सुधार की संभावना बढ़ सकती है l
तथ्य 2: IVF इंजेक्शन एवं IVF साईकल में उपयोग की जाने वाली दवाओं की नियमित्ता एवं इंजेक्शंस के लगाने के समय का प्रभाव आईवीएक के परिणाम को प्रभावित करता है।
सामान्यतः किसी भी महिला के शरीर में LH, FSH और E2 जैसे हार्मोन्स की वजह से अंडे बनते है और समय आने पर परिपक्व होकर फूटते है l अंडाणुओं के प्राकृतिक रूप से न बनने या फूटने पर IVF प्रक्रिया के दौरान IVF इंजेक्शन या दवाइयों से इन हार्मोन्स को नियंत्रित करने की कोशिश की जाती है l
इंजेक्शन द्वारा हार्मोन्स का नियंत्रण करने के लिए जरुरी है की इंजेक्शन को एक उचित तापमान पर रखा जाये ताकी उनके अंदर की दवा सही काम करे l क्लिनिक से बताए गए निर्देश अनुसार इंजेक्शन को हमेशा उचित तापमान पर ही रखे l यदि किसी कारणवश इंजेक्शन बताए गए तापमान पर नहीं रखे गए हो, तो उन इंजेक्शंस को न लगाए l हार्मोन्स के इंजेक्शन हर रोज एक ही निर्धारित समय पर लगाए, समय में फेरबदल न करे l इंजेक्शन सही तापमान पर सही टाइम पर नहीं लगाने से हार्मोन्स असंतुलित हो सकते है और आईवीएफ के परिणाम पर दुष्प्रभाव डाल सकते हैं |
IVF इंजेक्शन दो प्रकार के होते है –
- सबक्यूटेनस – पेट पर लगने वाला
- इंट्रामस्क्युलर – कमर पर लगने वाला
पेट पर लगने वाला इंजेक्शन आसानी से कोई भी स्वयं से लगा सकते है परन्तु कमर पर लगने वाले इंजेक्शन प्रशिक्षित नर्स के माध्यम से ही लगवाना चाहिए l
आईवीएफ इंजेक्शन को उपयोग करने के विषय में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी –
- जब भी इंजेक्शन लगवाने जाये तब आइस पैक के बिच इंजेक्शन को 2 से 8°c के उचित तापमान में रखे l
- निर्धारित समय पर रोजाना इंजेक्शन लगाने के लिए किसी क्लिनिक या नर्स की व्यवस्था रखे l
- अपने मोबाइल फोन पर अलार्म सेट करें ताकि आपसे कोई इंजेक्शन छूटे नहीं।
- यदि आप किसी इंजेक्शन को लेने से चूक जाते हैं, और आपको समय निकलने के बाद याद आता है तो उसे तुरंत लगवाएं या क्लिनिक पर संपर्क करे l
- किसी भी तरह का संदेह होने पर IVF नर्स या क्लीनिक से संपर्क कर अपनी शंकाओं का समाधान करें।
- इंजेक्शन को रेफ्रिजरेटर के ऊपरी शेल्फ (बर्फ ज़माने वाले शेल्फ में नहीं ) पर स्टोर करें और कभी भी दरवाजे पर न रखें, ताकि उचित तापमान बना रहे।
- सुनिश्चित करे की शीशी में जो पाउडर वाली दवाई है वह पूरी तरह नर्स आपको इंजेक्शन के माध्यम से लगा रही है और एक बूँद भी शीशी में नहीं छोड़ रही है |
तथ्य 3: आईवीएफ प्रक्रिया से गुजरने का मतलब यह नहीं है कि आप तुरंत माता पिता बन जाएंगे l
IVF प्रक्रिया को 3 चरणों में समझने की कोशिश करे –
- अंडाशय में से अंडे निकालना
- भ्रूण निर्माण (अंडे में से भ्रूण बनाना)
- भ्रूण प्रस्थापन (भ्रूण स्थानांतरण)
महिलाओं की बढ़ती उम्र के साथ उनके अंडाशय की क्षमता घटती जाती है और ज्यादा उम्र में आईवीएफ कराने में जटिलताएं आती है l अगर दंपति को लगता है कि उनके कुछ व्यक्तिगत और प्रोफेशनल कारण की वजह से वे गर्भधारण में देरी करना चाहते है, तो वे समय रहते आईवीएफ की प्रक्रिया द्वारा भ्रूणों को संगृहीत रखने का विकल्प चुन सकते हैं l इससे बाद में वे अपनी सुविधानुसार जब चाहे भ्रूण प्रस्थापन (एम्ब्रीओ ट्रांसफर) से गर्भधारण कर सकते हैं।
कोई भी दम्पति को भ्रूण प्रस्थापन में तभी देरी करनी चाहिए जब उनकी IVF प्रक्रिया के बाद कम से कम 2 से 3 अच्छी गुणवत्ता वाले ब्लास्टोसिस्ट (5 वे दिन का भ्रूण) बने हो, जो भविष्य में दो से तीन भ्रूण प्रस्थापन प्रयासों (फ्रोजन एम्ब्रीओ ट्रांसफर) को सुनिश्चित कर सकें l
तथ्य 4: IVF प्रक्रिया से सफल प्रेगनेंसी के लिए केवल एक ही अच्छी गुणवत्ता वाला ब्लास्टोसिस्ट (5 वे दिन का भ्रूण) आवश्यक होता है |
IVF प्रक्रिया की सफलता दर बढ़ाने के लिए कई सारे भ्रूणों का एम्ब्रीओ ट्रांसफर करवाने के झांसे में न आएं l
कई क्लीनिक IVF प्रक्रिया की सफलता दर बढ़ाने की इच्छा से दो से तीन भ्रूणों को प्रस्थापित कर देते हैं। हालांकि कई बार यह जुड़वा या ट्रिप्लेट गर्भावस्था का कारण बनता है, जो अनावश्यक रूप से गर्भावस्था को जटिल बनाता है। दम्पति को पता होना चाहिए कि जुड़वां गर्भावस्था के साथ समय से पहले डिलीवरी की संभावना बहुत बढ़ जाती है और कई प्रकार की जटिलताओं का सामना भी करना पड़ता है l
इससे न केवल जटिलता बढ़ती है बल्कि होने वाले शिशु पर भी इसके दुष्प्रभाव पड़ते है l कई बार यह संभावना भी बढ़ जाती है कि शिशुओं को कुछ दिनों के लिए नवजात आईसीयू में रखना पड़े l इसे हम समय से पूर्व प्रसव (प्री मेच्योर डिलीवरी) भी कहते है
यदि ब्लास्टोसिस्ट ( 5 वे दिन का भ्रूण ) की गुणवत्ता अच्छी है तो सिंगल ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर ही अच्छी सफलता दर देता है। सुनिश्चित करें कि जब भी संभव हो आप पांचवे दिन के भ्रूण ( ब्लास्टोसिस्ट ) का ट्रांसफर कराएं l
तथ्य 5 : एक बार की असफलता से न घबराएं , IVF 100 % गारंटी ट्रीटमेंट नहीं है , ये समझ कर इलाज करवाएं .
यदि आप पहली IVF साइकिल में अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण का उत्पादन करने में असफल हो जाते है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपकी अगली साइकिल में भी आईवीएफ असफल हो l
आपके शरीर में हर अंडाणु एक दूसरे से अलग होता है। सिर्फ इसलिए कि एक IVF प्रक्रिया में अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण नहीं थे, इसका मतलब यह नहीं है कि आपके अगले IVF साइकिल का भाग्य भी वही होगा।
आपके आईवीएफ विशेषज्ञ और भ्रूण विशेषज्ञ (एम्ब्रायोलॉजिस्ट) आमतौर पर आईवीएफ असफल होने पर, असफलता के कारण का पता लगाने के लिए हर मामले पर चर्चा करते हैं। आमतौर पर, वे चर्चा करते हैं कि अगली प्रक्रिया में क्या अलग तरीके से आजमाया जा सकता है, जैसे – IVF लेब प्रोटोकॉल में बदलाव, इंजेक्शन की खुराक में बदलाव आदि l कई बार एक ही प्रक्रिया को दोबारा दोहराने से अलग परिणाम सामने आते है क्युकी आपके शरीर में हर अंडाणु एक दूसरे से अलग होता है और इसलिए हम दूसरी या तीसरी बार में बेहतर भ्रूण प्राप्त कर पाते है ।
अंततः कोई दम्पति यदि अच्छी गुणवत्ता वाले भ्रूण का उत्पादन करने में लगातार विफल रहते हैं तो डोनर एग या डोनर स्पर्म पर विचार किया जा सकता है।
बेंजामिन फ्रैंकलिन के अनुसार
"यदि आप तैयारी करने में असफल हो रहे हैं, तो आप असफल होने की तैयारी कर रहे हैं।"
आईवीएफ उपचार के लिए भी यही सच है। एक आईवीएफ प्रक्रिया तभी सफल हो सकती है जब वो भावनात्मक, आर्थिक एवं शारीरिक तैयारी के साथ की जाए । यदि सही उम्मीद और उचित तैयारी के साथ IVF प्रक्रिया किया जाए , तो अधिकांश आईवीएफ अंततः एक सफल गर्भावस्था में परिणत होते हैं |
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