इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन – IUI ट्रीटमेंट (आईयूआई) क्या है ?
इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई) इनफर्टिलिटी या निःसंतानता (बांझपन) का इलाज करने वाली एक प्रक्रिया है। इसे हिंदी में कृत्रिम गर्भाधान कहते है l IUI प्रक्रिया में शुक्राणु यानि स्पर्म को महिला के गर्भाशय में छोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया ओव्युलेशन के समय की जाती है.
IUI प्रक्रिया, IUI क्लिनिक में IUI विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। आमतौर पर इंदौर में सबसे अच्छे आईयूआई क्लिनिक वे हैं जिन्हें आईयूआई के साथ-साथ आईवीएफ प्रोटोकॉल में विशेषज्ञता हासिल है।
इस प्रक्रिया में गर्भधारण की संभावना बढ़ाने के लिए कई बार मरीज को ओव्यूलेशन को प्रेरित करने वाली दवाइयाँ दी जाती है। इस प्रक्रिया में ओव्यूलेशन की जाँच करने के लिए ट्रांसवजाइनल अल्ट्रासाउंड (टीवीएस) किया जाता है।
आईयूआई (IUI) से किसे फायदा होता है?
पुरुष कारक निःसंतानता (बांझपन) – यदि पुरुष साथी के सीमेन एनालिसिस में, स्पर्म काउंट (शुक्राणु) कम (ओलिगोज़ोस्पर्मिया), स्पर्म की मोटिलिटी कम (एस्थेनोज़ोस्पर्मिया) या शुक्राणु की गुणवत्ता में खराबी ( टेरेटोज़ोस्पर्मिया) जैसी समस्या है तो आईयूआई उपचार से गर्भधारण की कोशिश की जा सकती है l इस प्रक्रिया में अच्छी गुणवत्ता एवं अच्छी मोटिलिटी वाले शुक्राणु को अलग कर IUI उपचार किया जा सकता है l
दम्पति को हेपेटाइटिस, एचआईवी संक्रमण – जब कोई दम्पति हेपेटाइटिस-B या हेपेटाइटिस-C, एचआईवी (HIV) आदि जैसे संक्रमण से ग्रसित होते है, तब संतान सुख के लिए उन्हें IUI का सहारा लेना चाहिए l इससे दम्पति को एक दुसरे से संक्रमण फैलने की संभावना कम हो जाती है l
आइयुआइ प्रक्रिया में शुक्राणुओं को संक्रमण मुक्त करने के लिए एक ख़ास तरीके से प्रोसेस किया जाता है जिसे डबल डेंसिटी ग्रेडिएंट कहते हैं , इस प्रक्रिया के दौरान स्पेशल कल्चर मीडिया एवं प्रोटोकॉल के ज़रिये , शुक्राणु को कई बार वाश किया जाता है l
सुनिश्चित करें कि HIV या हेपेटाइटिस मरीज सफल IUI के लिए एक अनुभवी IVF स्पेशलिस्ट चुनें क्योंकि अनुभवी डॉक्टर एवं IVF लैब IUI की सफलता के साथ साथ ये भी सुनिश्चित करते हैं की संक्रमण एक से दुसरे को न फैले l
दम्पति का एक दूसरे से दूर रहना– ऐसे मामलों में जहां पुरुष साथी घर से बहुत दूर है (सेना, बीएसएफ में ड्यूटी, काम के कारण यात्रा या टूर आदि), तो इनके लिए शुक्राणुओं (स्पर्म) को संरक्षित (क्रायो प्रिज़र्व ) किया जा सकता है और ओव्यूलेशन के समय IUI के लिए उपयोग किया जा सकता है।
डोनर स्पर्म – जिन पुरुषों को एजुस्पर्मिया या निल शुक्राणु की समस्या है, उनकी महिला साथी गर्भवती होने के लिए डोनर स्पर्म का उपयोग कर सकती है l ऐसे मामलों में IUI इलाज, डोनर स्पर्म द्वारा गर्भधारण करने के लिए किया जाता है।
ध्यान रहे !
फैलोपियन ट्यूब स्वस्थ होने पर ही आईयूआई की कोशिश की जा सकती है।
आईयूआई डॉक्टर, आईयूआई का सुझाव देने से पहले ट्यूब की जाँच करने के लिए ट्यूबल पेटेंसी टेस्ट कर सकते है।
IUI ट्रीटमेंट की प्रक्रिया क्या होती है ?
- IUI ट्रीटमेंट लेने वाली महिला को निःसंतानता विशेषज्ञ द्वारा माहवारी या पीरियड के दौरान दूसरे या तीसरे दिन से कुछ दवाइया शुरू करने की सलाह दी जाती है। IUI इलाज के सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए कई बार मरीज को इंजेक्शन भी दिए जाते है l
- माहवारी होने के 11वें दिन से सोनोग्राफी के माध्यम से ओवुलेशन स्टडी या फॉलिकल स्टडी की जाती है। इससे पता लगाया जाता है की ओवरीज़ में अंडे बन रहे हैं या नहीं। सोनोग्राफी तब तक होती है जब तक ओव्यूलेशन यानि अंडाशय मैं से अंडे निकलने की प्रक्रिया पूरी न हो जाए।
- इसके बाद अंडाशय में अंडे के उपयुक्त साइज के हो जाने पर एक (एचसीजी) इंजेक्शन दिया जाता है।
इंजेक्शन लगने के 24 से 34 घंटे के अंदर IUI प्रक्रिया की जाती है l
IUI प्रक्रिया में लगने वाला खर्च ?
सामान्यतः IUI प्रक्रिया में लगने वाला खर्च लगभग 6 से 7 हजार ₹ तक होता है और, इंजेक्शन की ज़रूरत पड़ने पर 1 से 2 हजार ₹ का खर्च अधिक हो सकता है।
IUI इलाज के अन्य खर्चो में शामिल है – IUI प्रक्रिया के दौरान चलने वाली दवाइयों का खर्च, ओव्यूलेशन स्टडी (सोनोग्राफी) का खर्च आदि। यह लागत परिवर्तनशील है क्योंकि यह चक्र के दौरान चलने वाली दवाइयों की खुराक पर निर्भर करती है।
IUI उपचार में सफलता की संभावना कितनी होती है ?
प्रत्येक IUI उपचार में सफलता की संभावना 10 से 12 प्रतिशत होती है। आईयूआई की सफलता दर पुरुष और महिला साथी दोनों की प्रजनन क्षमता की समस्या और उम्र पर भी निर्भर करती है।
क्या IUI प्रक्रिया में कोई जोखिम, रिस्क या कोई साइड इफ़ेक्ट होता है ?
निःसंतान दम्पति के लिए IUI सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है। आईयूआई में गंभीर समस्याओं का जोखिम कम होता है। IUI में कुछ सामान्य जोखिम (रिस्क) होते है, जैसे –
इन्फेक्शन – आईयूआई प्रक्रिया के परिणामस्वरूप 0.5 प्रतिशत से भी कम महिलाओं में बहुत ही निम्न स्तर पर इन्काफेक्शन रिस्क होता है ।
रक्तस्त्राव – IUI प्रक्रिया में महिला के गर्भाशय में केथेटर (सिरिंज में लगने वाली एक पतली नली) की सहायता से स्पर्म छोड़े जाते है। कुछ निम्न मामलो में इस प्रक्रिया से महिला को कई बार रक्तस्राव हो सकता है। आईयूआई साइकल के बाद गर्भधारण की संभावना पर इसका आमतौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
एक से अधिक गर्भावस्था या ट्विन प्रेगनेंसी – जब दवाइयों या गोलियों से अंडाशय को उत्तेजित किया जाता है , तो एक से अधिक अण्डों के बन्ने की संभावना होती है l फलस्वरूप एक से अधिक गर्भधारण का जोखिम बढ़ जाता है। एक गर्भावस्था (प्रेगनेंसी) की तुलना में जुड़वाँ (ट्विन्स) या इससे अधिक गर्भावस्था में अधिक जोखिम होता है, जैसे – समय पूर्व प्रसव (डिलीवरी), जन्म के समय शिशु का कम वजन एवं अस्वस्थ होना आदि। आईयूआई स्वयं एक से अधिक गर्भधारण के बढ़ते जोखिम से जुड़ा नहीं है।
IUI इलाज करवाने से पहले कौनसी जांचें करवानी ज़रूरी होती है ?
IUI इलाज करवाने से पहले –
- महिला हेतु (महिलाओ के लिए) : खून की जांच और ट्यूब की जांच (जो एचएसजी या लेप्रोस्कोपी द्वारा की जाती है) ये दोनों जांचे ज़रूरी होती है l
2. पुरुष हेतु (पुरुष के लिए) : IUI इलाज करवाने से पहले शुक्राणु की जांच (सीमेन एनालिसिस) करवाना जरुरी होता है।
IUI उपचार के लिए मरीज को कितनी बार अस्पताल जाने की जरूरत होती है ?
इस उपचार के लिए मरीज को ध्यान रहे की –
- माहवारी या पीरियड के दौरान चलने वाली दवाइयां आप स्वयं घर पर ले सकते हैं।
- यदि इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है तो अपने घर के आस पास किसी क्लिनिक पर इंजेक्शन लगवा सकते हैं या कोई नर्स द्वारा घर पर भी लगवा सकते है l
- उपचार के दौरान होने वाली सोनोग्राफी अपने घर के आस पास किसी भी सोनोग्राफी सेंटर पर करवा सकते हैं।
मरीज को IUI इलाज के लिए सिर्फ एक ही बार अस्पताल आने की जरूरत होती है।