निःसंतान दम्पति जब भी किसी क्लीनिक में निःसंतानता या इनफर्टिलिटी का उपचार करवाने के लिए जाते हैं तो फर्टिलिटी विशेषज्ञ उनकी परिस्थतियों के अनुसार आईयूआई (IUI) या आईवीएफ (IVF) की सलाह देते हैं।
आईवीएफ और आईयूआई दोनों ही निःसंतानता का इलाज करने की प्रक्रियाएं हैं। लेकिन, IUI और IVF दोनों के बीच कुछ अंतर् है। इसे जानने के लिए पूरा ब्लॉग पढ़े –IUI और IVF
इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन – IUI ट्रीटमेंट (आईयूआई) क्या है ?
इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (आईयूआई) इनफर्टिलिटी या निःसंतानता (बांझपन) का इलाज करने वाली एक प्राथमिक प्रक्रिया है। इसे हिंदी में कृत्रिम गर्भाधान कहते है l IUI प्रक्रिया में शुक्राणु यानि स्पर्म को महिला के गर्भाशय में छोड़ा जाता है। यह प्रक्रिया ओव्युलेशन के समय की जाती है l
IUI प्रक्रिया, IUI क्लिनिक में IUI विशेषज्ञ द्वारा की जाती है। आमतौर पर इंदौर में सबसे अच्छे आईयूआई क्लिनिक वे हैं जिन्हें आईयूआई के साथ–साथ आईवीएफ प्रोटोकॉल में विशेषज्ञता हासिल है।
IUI के बारे में अधिक जानकारी के लिए "इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन – IUI (आईयूआई) क्या है?" ब्लॉग पड़े -
आईवीएफ क्या होता है ?
आइवीएफ़ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया के दौरान शरीर के बाहर अण्डों एवं शुक्राणुओं का निषेचन आइवीएफ़ लैब में किया जाता है, इन निषेचित यानी फर्टीलाइज किये हुए भ्रूणों को तीन से पांच दिनों तक एक इन्क्यूबेटर में रखा जाता है। समय आने पर इन विकसित भ्रूणों में से एक या दो भ्रूण को महिला के गर्भाशय में छोड़ दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया को आइवीएफ़ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया कहा जाता है।
IVF के बारे में अधिक जानकारी के लिए "आईवीएफ क्या होता है ?" ब्लॉग पढ़े -
IUI से किसे फायदा हो सकता है ?
IUI का सुझाव उन महिलाओ को दिया जाता है जिनकी ओवरीज की क्षमता अच्छी हो और जिनके ट्यूब्स खुले हो या ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या नहीं है।
पुरुषो में IUI की सफलता निर्भर करती है शुक्राणु की संख्या और उनकीं गतिशीलता पर। यदि शुक्राणुओं की संख्या (स्पर्म काउंट) 10 मिलियन प्रति ML है एवं शुक्राणुओं की गतिशीलता (स्पर्म मोटिलिटी) 25 प्रतिशत से कम गतिशील है तो IUI की सफलता की सम्भावना कम हो सकती है।
IVF से किसे फायदा है ?
ऐसी महिलाएं जिन्हे –
– ट्यूबल ब्लॉकेज की समस्या है
– जिनकी एक ट्यूब या दोंनों ट्यूब ब्लॉक है
– जो बड़ी उम्र में माँ बनना चाहती है
पुरुषो में जिनके –
– सीमेन पैरामीटर अच्छे नहीं है
– शुक्राणु की संख्या कम है
– शुक्राणु गतिशील नहीं है
– शुक्राणुओं की आकृति (शेप) ठीक नहीं है
नोट : ऐसे दम्पति जो अनएक्सप्लेंड इन्फर्टिलिटी (अस्पष्टीकृत बाँझपन) से पीड़ित हैं और आईयूआई के 3 से 4 साइकल से गुजर चुके हैं और अभी तक गर्भधारण नहीं कर पाए हैं, उन्हें आईवीएफ पर विचार करना चाहिए।
IUI और IVF की लागत में क्या अंतर है?
इंदौर जैसे शहर में IUI साइकिल की कीमत 7000 रुपये से 9000 रुपये के बीच है। मेट्रो शहरों में IUI साइकिल की कीमत लगभग 10 से 15 हजार रुपये हो सकती है।
इंदौर में आईवीएफ साइकिल की कीमत 1 लाख से 1.75 लाख रुपये के बीच है। मेट्रो शहरों में आईवीएफ साइकिल की कीमत 1.5 लाख से 2 लाख तक हो सकती है।
आईयूआई या आईवीएफ : क्या सही है ?
जब महिला की उम्र 30 वर्ष से कम हो और उसकी ट्यूब्स (नलिकाएं) खुली हों और पुरुष के शुक्राणु की संख्या एवं गतिशीलता सामान्य हो, तो आईयूआई उपचार को 3 से 4 बार किया जा सकता है।
यदि महिला के ओवेरियन रिज़र्व खराब है, तो संभवतः सीधे आईवीएफ उपचार कराना अधिक उचित होगा क्योंकि इससे सफलता दर बेहतर मिलेगी ।
आईयूआई और आईवीएफ से गर्भधारण (प्रेगनेंसी) होने में कितना समय लगता है? IUI प्रक्रिया :
IUI प्रक्रिया :
– IUI ट्रीटमेंट लेने वाली महिला को निःसंतानता विशेषज्ञ द्वारा माहवारी या पीरियड के दौरान दूसरे या तीसरे दिन से कुछ दवाइया शुरू करने की सलाह दी जाती है। IUI इलाज के सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए कई बार मरीज को इंजेक्शन भी दिए जाते है l
– माहवारी होने के 10वें या 11वें दिन से सोनोग्राफी के माध्यम से ओवुलेशन स्टडी या फॉलिकल स्टडी की जाती है। इससे पता लगाया जाता है की ओवरीज़ में अंडे बन रहे हैं या नहीं। सोनोग्राफी तब तक होती है जब तक ओव्यूलेशन यानि अंडाशय मैं से अंडे निकलने की प्रक्रिया पूरी न हो जाए।
– इसके बाद अंडाशय में अंडे के उपयुक्त साइज के हो जाने पर एक (एचसीजी) इंजेक्शन दिया जाता है।
इंजेक्शन लगने के 24 से 34 घंटे के अंदर IUI प्रक्रिया की जाती है l
IVF प्रक्रिया :
– अंडाशय को दवाइयों एवं इंजेक्शंस द्वारा उत्तेजित किया जाता है ताकि अधिक मात्रा में अंडे मिल सके। साथ ही सोनोग्राफी द्वारा अण्डों की परिपक्वता की नियमित जाँच की जाती है ।
– अंडो की उचित साइज़ हो जाने पर ओवम पिकअप या अंडाशय में से अंडे निकालने की प्रक्रिया प्लान की जाती है।
– ओवम पिकअप के बाद अण्डों का निषेचन महिला के पुरुष साथी द्वारा दिए गए शुक्राणुओं के साथ आईवीएफ लैब में किया जाता है। निषेचित अण्डों को इन्क्यूबेटर्स में रखा जाता है।
– 3 से 5 दिन के पश्चात भ्रूणों को महिला के गर्भाशय में प्रस्थापित किया जाता है, एवं अतिरिक्त भ्रूणों को क्रायो प्रीज़र्वेशन प्रक्रिया द्वारा संगृहीत किया जाता है।
– एम्ब्रियो ट्रांसफर – भ्रूण प्रस्थापन के प्रक्रिया के 12 से 14 दिन के बाद खून की जाँच द्वारा प्रेगनेंसी का पता लगाया जाता है ।
IUI और IVF दोनों ही निःसंतानता का इलाज करने के लिए प्रभावी उपचार विकल्प हैं।
कोई भी महिला एवं पुरुष निःसंतानता के लिए कौनसा उपचार सही होगा यह जानने के लिए इंदौर के प्रसिद्ध निःसंतानता विशेषज्ञ डॉ. गजेंद्र सिंह तोमर से आज ही परामर्श ले।