इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के अनुसार इस समय की बढ़ती प्रमुख बीमारियों में निःसंतानता शामिल हो गई है। इस बेहद गंभीर समस्या की ओर ध्यान दिए जाने की जरूरत है। वर्तमान में 27.5 मिलियन दंपति निःसंतानता से ग्रस्त हैं जिनमे 40 से 50 फीसदी मामलों में निःसंतानता का कारण महिला और 30 से 40 फीसदी मामलों में पुरूष जिम्मेदार हैं।
निःसंतानता की समस्या बढ़ने के साथ ही आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी की मांग भी काफी बढ़ी है क्योंकि यह तकनीक बेहद ही कारगर और सुरक्षित है। जानकारी के अभाव से अधिकतर मरीज़ इलाज के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं, इससे समय और पैसा दोनों ज़ाया होता हैं ।
निःसंतानता की वजह जानने के लिए कौनसी जाँचें करना है ज़रूरी ?
किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए जांच सबसे महत्वपूर्ण होता है। निःसंतानता के कारण जाने बिना उपचार करवाने से लाभ नहीं होता है। सामान्यतया गर्भधारण नहीं होने पर महिला का इलाज शुरू कर दिया जाता है जबकि निःसंतानता के लिए पति-पत्नी दोनों में से कोई भी जिम्मेदार हो सकता है।
आंकड़ों के अनुसार निःसंतानता के लिए महिला-पुरूष दोनों एक तिहाई जिम्मेदार है। कुछ मामलों में दोनों जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए बिना जांच करवाए नि:संतानता का उपचार नहीं करवाना चाहिए। उपचार के लिए भी जरूरी है कि नवीनतम उपकरणों वाली लैब में जांच की जा। सही जाँच के बाद शुरू किए उपचार के सफल होने की संभावनाएं अधिक रहती है।
जरूरी बातें – ध्यान दें
शुक्राणु की जाँच अत्याधुनिक माईक्रोस्कोप व प्रशिक्षित लैब टेक्नीशियन की देख-रेख में करानी चाहिए।आईयूआई, आईवीएफ, इक्सी तकनीक में दम्पति की सफलता भ्रूण वैज्ञानिक पर भी निर्भर होती है। अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित लैब व अनुभवी भ्रूण वैज्ञानिक सफलता दर बढ़ाने में सहायक होते हैं।
आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की ज़रूरत कब होती है?
निम्न समस्याओं के कारण आईवीएफ या टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया की ज़रूरत हो सकती है:
- फॉलोपियन ट्यूब्स बंद होना।
- सारी जांचें सामान्य होने पर भी गर्भधारण न कर पाना ।
- पुरुषों में शुक्राणुओं की मात्रा में कमी या शुक्राणु न होना ।
- अंडे बनने में अनियमितता ( PCOD ) या अंडे न बनना ।
- महिलाओं की बढ़ती उम्र या रजोनिवृत्ति के पाश्चात गर्भधारण ।
- बार बार IUI /IVF में असफलता ।